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बढ़ती महंगाई टूटता परिवार

“ प्रतिक्रिया ”
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बन्धुओ हमेशा दूसरो की तरफ उठने वाली मेरी ए अंगुली आज मेरे तरफ ही इशारा कर रही है और कह रही है की जो हमने अपने जीवन जीने की शैली को परिवर्तित किया है जो हमारे आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रही है और कुछ हद तक एस बढ़ती महगाई के लिये जीमेदार हम भी है एसकी शुरुआत तबसे हुई है जबसे हमने अपने रहन सहन का ट्रेंड बदला है हम न सिर्फ ज्यादा बाहर खाने लगे हैं, बल्कि अब हम बड़े और महंगे रेस्टोरेंट्स में भी जाने लगे हैं। एसका द्सरा पहलू ए भी है की आज के दौर मे टूटता परिवार सयुंक्त परिवार का भीखंडन, आखिरकार हम रहन-सहन का स्तर सुधारने के लिए ही कड़ी मेहनत करते हैं। और जैसे जैसे हमारा परिवार बढ़ता है तो हम स्युक्त परिवार को छोर कर एकल परिवार को प्राथमिकता देते है, तो ऐसे मे बड़े घरों में शिफ्ट करना और बड़ी कार खरीदना भी स्वाभाविक है अक्सर हमें इसका अहसास भी नहीं होता। हालांकि, अगर इसे सही तरीके से मैनेज नहीं कर पाये तो हमारी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है और हम आर्थिक स्थिति के साथ साथ हमारी मानवीय स्थिति भी बिगरने लगती है, और हम परेशान हो जाते है,, अक्सर हम आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली हालत में फस जाते है , अतः हमे एन बातो का ध्यान रखना चाहिये और हमे सयुंक्त परिवार को प्राथमिकता देनी चाहिये, जहा तक हो सके दीखावेपन से बचना चाहिये ,

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